8 सितम्बर को रेयान स्कूल में हुए सात साल के मासूम प्रद्युमन की बेरहम मौत ने पूरे देश को झकझोंर कर रख दिया… जिसने सुना उसका कलेजा तड़प गया और दिल से बस यही आवाज आई कि मासूम का हत्यारा मिल जाए और उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। स्कूल बस कंडक्टर के रूप में कथित हत्यारा मिल भी गया और उम्मीद जगी कि प्रद्युमन को न्याय मिल सकेगा पर ये उम्मीद ज्यादे देर तक टिक न सकी .. कुछ देर में अटकलों, आशंकाओं का नया दौर शुरू हो गया.. परिजनों की आशंकाओं से स्कूल प्रशासन पर हत्या की सुई घुमी..साथ ही बाहरी लोगों के शामिल होने की बात का खुलासा भी हुआ …लेकिन असली गुनाहगार अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर नजर आ रहा है।अब जबकि मामला कोर्ट में पहुँच चुका है सबके लिए ये जानना अहम हो गया है कि आखिर असली गुनाहगार कौन है.
8 सितंबर की सुबह रायन इंटरनैशनल स्कूल में स्टूडेंट के मर्डर केस में आए दिन नए बयान सामने आ रहे हैं। पुलिस ने मीडिया को कुछ बताया जबकि कंडक्टर, माली, ड्राइवर सहित अन्य स्टाफ के बयान कुछ और ही थे। इससे हत्या की गुत्थी उलझती चली गई। छात्र के पैरंट्स पुलिस की थिअरी को दरकिनार कर सीबीआई केस की मांग कर चुके हैं।
पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल
पुलिस ने चाहे आरोपी कंडक्टर को रिमांड खत्म होने के बाद जेल भेज दिया हो, लेकिन पुलिस की थ्योरी पर अब भी कई सवाल उठ रहे हैं। जैस कि पुलिस ने एक ही दिन में अरेस्ट कर उसी दिन गिरफ्तारी करने में जल्दी क्यों दिखाई। कहीं पुलिस पर केस का जल्दी खुलासा करने का दबाव तो नहीं था। यह भी बड़ा सवाल है कि वारदात के बाद कंडक्टर फरार क्यों नहीं हुआ? साथ ही कंडक्टर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कहा था कि आरोपी ने मर्डर के बाद यूनिफॉर्म बदलने की बात कबूली है। इस पर कंडक्टर की पत्नी ममता का कहना है कि उसके पति के पास स्कूल की दी हुई एक ही यूनिफॉर्म थी। वारदात के बाद उसने दूसरी यूनिफॉर्म कैसे पहनी/ चाकू पर खून के निशान न होने व चाकू नया होने की बात पहले ही सामने आ चुकी है।
माली की अहम बयान
गौरतलब है कि स्कूल के माली हरपाल ने ही टॉइलट में सबसे पहले छात्र को खून से लथपथ देखा था। माली ने बयान दिया है कि कंडक्टर बाथरूम के अंदर नहीं था। माली हरपाल ने साफ कहा कि जब उसने पहली बार देखा तो प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या के मुख्य आरोपी अशोक कुमार की शर्ट पर खून के धब्बे नहीं थे। हरपाल ने घटना के बारे में बताते हुए कहा है कि उस दिन जब मैंने चीखने की आवाज सुनी.. दो-तीन बच्चे वहां थे.. उन्होंने फर्श पर पड़े प्रद्युम्न की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अंकल जी इस बच्चे को क्या हो गया। मैं भी थोड़ा नर्वस हो गया। तभी बच्चों ने मुझे कहा कि मैं अंजू मैडम (जूनियर स्कूल सेक्शन इंचार्ज अंजू डूडेजा) को बुला लाऊं। जब मैं टीचर के साथ वापस लौटा तो मैंने देखा कि अशोक भी वहीं था और उसकी शर्ट पर खून का कोई निशान नहीं था। अंजू मैडम ने कहा कि बाहर जाने में मदद को कहा। अशोक उस बच्चे को हाथ में लेकर मैडम के साथ बाहर गया और मैडम वापस अपने कमरे चली गयी।
माली के अनुसार जब अशोक बच्चे को लेकर आया तो अंजू मैडम वापस चली गयी… ये मैडम की असंवेदनशीलता को दर्शाता है कि कैसे कोई एक बच्चे को उस हालत में देखकर सामान्य रह सकता है और वापस अपने काम में लग सकता है । अंजु मैडम गैर जिम्मेदारी वाला रवैया अपने आप में बहुत कुछ बताता है।