ਹਾਂ !! ਲੀਜ਼ ਤੇ ਹੈ ਭਾਰਤ-99 ਸਾਲਾਂ ਬਾਅਦ ਫਿਰ ਅੰਗਰੇਜਾਂ ਹੱਥ ਹੋਵੇਗੀ ਭਾਰਤ ਦੀ ਡੋਰ

ਰਾਜੀਵ ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਇੱਕ ਸਮਾਜਿਕ Activist ਸੀ ਜਿਸਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਖੌਤੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਬਾਰੇ ਕਈ ਹੈਰਾਨੀਜਨਕ ਖੁਲਾਸੇ ਕੀਤੇ ਸਨ। Rajiv ਨੇ ਨਹਿਰੂ-ਗਾਂਧੀ ਵਰਗਿਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਨੰਗਾ ਕੀਤਾ ਸੀ।ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਬਾਰੇ ਉਸਨੇ ਜੋ ਵਿਚਾਰ ਦਿੱਤੇ ਸਨ ਉਹਨਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਭਾਰਤ 99 ਸਾਲਾ ਲੀਜ਼ ਤੇ ਹੈ ਅਤੇ 99 ਸਾਲਾਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ ਭਾਰਤ ਤੇ ਫਿਰ ਕਾਬਜ਼ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ।

जो 15 अगस्त 1947 आया, तो एक समझौता हुआ। पंडित नेहरु और माउंत बेटन के बीच में। उस समझौते का नाम है Transfer Of Power Agreement. उस एक Agreement के नीचे 1500 छोटे-छोटे समझौते हुए। वो शर्ते है। अंग्रेज कह रहे है कि यह मानोगे तो हम आजादी देंगे, यह मानोगे तो हम आजादी देंगे। तो यह आजादी अंग्रेजो द्वारा दी गयी है, हमने ली नहीं है। क्योंकि आजादी लेने वालों का जो वर्ग था। वह 1947 तक खत्म हो चुका था। आजादी लेने वालों का वर्ग था- भगत सिंह का, चन्द्रशेखर आजाद का, तात्या टोपे का, नाना साहब पेशवा का, उधम सिंह का, आशफा उला का, लोकमान्य तिलक का। इनका मानना था कि हम आजादी लेंगे, लड़-झगड़ के लेंगे और अंग्रेजो को इस देश से मारकर भगायेंगे। दुर्भाग्य इस देश का यह हुआ की 1947 तक इनमें से कोई भी नहीं बचा। तो फिर जो बचे वह सब Mediocre (साधारण) थे। तो इन्होंने अंग्रेज को भगाकर आजादी ली है, ऐसा नहीं है। अंग्रेज ने कुछ दया के साथ और कुछ करुणामय तरीके से आजादी दी हैं और इसे वो किसी भी दिन वापस ले सकते हैं।यह हैं समझौता। जिसको Transfer Of Power Agreement कहते हैं। इसके सारे Documents लंदन के House Of Comenth की Liberary में है। कुछ हिस्सा इसका भाई राजीव दीक्षित जी के पास भी था। उनकी कोशिश यह थी कि एक बार यह सारे सबूत भारत में आ जाये। उनका यह मन था कि इस बात को टेलीविजन पर सबको खोल-खोल कर पढ़ाया जाये कि देखो यह क्या लिखा है अंग्रेज ने।
माउंत बेटन के शब्दों में और अंग्रेज की भाषा में हम कहे, तो India Is On Lease For 99 Years. मतलब हमारा देश 99 साल के पट्टे पर है। 99 साल जिस दिन पूरे हो जाये। उस दिन अंग्रेज की औकात हैं कि वो आपसे इस आजादी को वापस ले सकते हैं और क्योंकि यह सारा पट्टे का खेल हैं। इसलिए आज तक भारत के किसी भी प्रधानमंत्री ने हमारे कानून नहीं बदले हैं। जो अंग्रेज बना गये थे। वो सभी कानून वैसे के वैसे ही हैं। जैसे- Indian Income Tax, CRPC, CPT, Indian Education Act, Land Education Act, Indian Citizenship Act आदि। यह सब अंग्रेजों ने ही बनाये हैं और इन सब कानून को हमने Maintain किया हैं, इनको बदला नहीं हैं।हम इन्हें बदल ही नहीं सकते हैं क्योंकि 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ हैं वो आजादी नहीं आई थी। बल्की ट्रान्सफर ऑफ़ पावर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में। इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नाम के दो Dominion States बनाये गए हैं। Dominion States मतलब की एक बडे राज्य के आधिपत्य के नीचे एक छोटा राज्य। इसका कानून अंग्रेजों के संसद में ही बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेंगे। लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा। इस संधि के अनुसार अंग्रेज द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेगे। जानिए 99 वर्ष के लिए ही लीज पर क्यों दी जाती है प्रॉपर्टीशहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे। इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा। इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा। इस संधि में ये भी हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी तो जाएगी भारत से। लेकिन 126 विदेशी कंपनीयाँ भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी। हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र हैँ वो दरअसल अंग्रेज का वेस्टमिन्सटर सिस्टम हैं। ये अंग्रेजो के इंग्लैण्ड की संसदीय प्रणाली हैं। ये कहीं से भी न संसदीय हैं और ना ही लोकतांत्रिक हैं। लेकिन इस देश में वही सिस्टम हैं क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है।

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