ਗੂੰਗਾ ਹੋਣਾ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਜ਼ਿਹਮਤ ਹੈ। ਗੂੰਗਾ ਬੰਦਾ ਦੁਨੀਆ ਨਾਲ ਆਪਣਾ ਰਾਬਤਾ ਕਾਇਮ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ। ਕਈ ਵਾਰੀ ਬੰਦਾ ਕਿਸੇ ਹਾਦਸੇ ਕਰਕੇ ਗੂੰਗਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਕਈ ਵਾਰੀ ਜਨਮ ਤੋਂ ਹੀ ਇਨਸਾਨ ਗੂੰਗਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਥਾਈਲੈਂਡ ਵਿਚ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਡਾਕਟਰ ਹੈ ਜੋ ਜਨਮ ਤੋਂ ਗੂੰਗੇ ਬੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਬੋਲਣ ਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਤੇ ਇੱਕ ਵੀਡੀਓ ਵਾਇਰਲ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਜਿਸ ਵਿਚ ਇਹ ਡਾਕਟਰ ਗੂੰਗੇ ਬੰਦਿਆਂ ਦਾ ਇਲਾਜ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ।
बच्चे के जन्म लेने के दो साल के अंदर उसके सुनने की क्षमता की जांच करा लेनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर परेशानी बढ़ती जाती है। बिहार का नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल कॉकलियर इम्प्लांट ऑपरेशन करने वाला पहला अस्पताल बन गया। इसका श्रेय बिहार एवं झारखंड से आए करीब डेढ़ सौ डाक्टर्स को जाता है.बच्ची का हुआ सफल इलाज-एनएमसीएच में क्क्वां डॉ। एलएच हीरानंदनी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें ईएनटी विभाग के एचओडी और आयोजन समिति के चेयरमैन डॉ.प्रो। चंद्रशेखर ने कहा कि बिहार के एनएमसीएच के ईएनटी डिपार्टमेंट को कॉकलियर इंप्लांट करने वाला पहला अस्पताल होने का गौरव मिला है। ऑरगेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। सत्येन्द्र शर्मा ने लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि बिहार के हेल्थ डिपार्टमेंट के सीनियर अफसरों, एनएमसी के प्रिंसिपल, अस्पताल प्रशसनऔर ईएनटी के एचओडी समेत पूरी टीम को इसका श्रेय जाता है। इसके बाद अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के प्रो.डा। राजेश विश्वकर्मा ने पूरी टीम के साथ ऑपरेशन किया। इसमें पूर्णिया के छह साल की बच्ची (जो सुनने और बोलने में अक्षम थी) का सफल ऑपरेशन किया गया।एक साल में लौटेगी आवाज-डा.विश्वकर्मा ने बताया कि मरीज के ऑपरेशन के चार वीक के बाद कान के इंटरनल पार्ट में लगाए गए यंत्र का स्वीच ऑन किया जाएगा। इसके लिए कान के बाहरी भाग में लगे स्वीच प्रोसेसर को चालू किया जाएगा। इसमें बैटरी लगा होता है। मरीज का एक साल तक थेरॉपी के बाद धीरे- धीरे श?द बोलना शुरू हो जाएगा।